गौमत मंदिर: 700 साल पुराना दाऊजी महाराज का मंदिर, जहां कृष्ण-बलराम चराते थे गायें, यहां भक्त मन्नत पूरी होने पर चढ़ाते हैं चांदी
Dauji Mandir Gomat: अलीगढ़ जिले के खैर गांव गौमत में स्थित दाऊजी महाराज का मंदिर अपनी ऐतिहासिक परंपराओं व धार्मिक आस्था के लिए पूरे जिले में प्रसिद्ध है। इस मंदिर को 500-600 साल पुराना बताया जाता है। कहा जाता है कि यह मंदिर कृष्ण और बलराम की गौ-चराने की कथाओं से जुड़ा है। यह स्थान गायों के पड़ाव के रूप में जाना जाता था इसलिए इस गांव का नाम “गौमत” पड़ गया।

यह मंदिर अपनी वास्तुकला व अद्भुत कलाकृतियों के लिए विख्यात है जो हजारों वर्षों पुराने भारतीय इतिहास व उसकी कला की गहराइयों को दर्शाता है। यहां के लोग बताते हैं कि यहां कोई सच्चे दिल से मंगत मांगता है उसके पूरे होने पर भक्त यहां आकर इस मंदिर में चांदी चढ़ाते है। यह मंदिर धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का अद्वितीय संगम है, जिसे देखने के लिए दूर-दराज से लोग यहां आते हैं। इस मंदिर के आस-पास का वातावरण भी प्राचीन काल की परंपराओं और रीति-रिवाजों की झलक को प्रस्तुत करता है, जो लोगों को यहां आने के लिए बहुत आकर्षित करता है।
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यह दाऊजी मंदिर है अलीगढ़ की ऐतिहासिक धरोहर
खैर तहसील क्षेत्र के गांव गौमत में स्थित श्री दाऊजी महाराज का मंदिर करीब 700 वर्ष पुराना है। यह मंदिर धार्मिक परंपरा व धार्मिक आस्था का केंद्र है। मंदिर में हर वर्ष देव छठ के अवसर पर तीन दिन के लिए भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें राजस्थान, हरियाणा और अन्य राज्यों के भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इस मेले के दौरान मंदिर की शानदार सजावट की जाती है, और ठाकुर जी का फूल बंगला भी सजाया जाता है, जो आकर्षण का विशेष केंद्र बनता है।
गौमत गांव को इस मंदिर की वजह से अनोखा माना जाता है, क्योंकि यह वह स्थल है जहां भगवान कृष्ण व उनके भाई बलराम गाय चराने आया करते थे। यह जगह ब्रज भूमि का भी प्रमुख हिस्सा रही है। इस मंदिर में दाऊजी महाराज व उनकी माता रेवती जी की काले पत्थर से निर्मित भव्य मूर्तियां इस मंदिर में स्थापित हैं।
भगवान श्री कृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम की लीलाओं से जुड़ा 500 साल पुराना दाऊजी मंदिर
इस गौमत गांव में 380 साल पुरानी हवेलियां भी मौजूद हैं, जिन्हें “बड़ा हाता” और “छोटा हाता” कहा जाता है, जो इस स्थान के ऐतिहासिक महत्व को भी बढ़ावा देती हैं। पहले यह स्थान ब्रज यात्रा का मुख्य केंद्र था, लेकिन चकबंदी के बाद अब यह मार्ग अलग पड़ जाता है। मंदिर के पुजारी नरेश वशिष्ठ अपने परिवार के साथ इस मंदिर में रहते हैं, व इस मंदिर की सेवा कर रहे हैं। इस मंदिर में अतिथियों के ठहरने के लिए गेस्ट हाउस की सेवा भी उपलब्ध है।
अलीगढ़ का गौमत गांव, जिसे पहले गऊ मठ भी कहा जाता था,यह गांव ऊंचाई पर बसा हुआ है और पहले यहां पर घना जंगल व एक बड़ा तालाब हुआ करता था। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम दोनों यहां गाय चराने के लिए आया करते थे। मंदिर के प्रबंधक रविंद्र स्वरूप मित्तल बताते हैं कि इस मंदिर में दाऊजी महाराज की सैकड़ों वर्ष पुरानी मूर्ति स्थापित है, जिसे देखने और पूजने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं।
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भामाशाह के वंशज गैलाशाह द्वारा स्थापित दाऊजी महाराज मंदिर की अनोखी कहानी
गौमत गांव का दाऊजी महाराज मंदिर ऐतिहासिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है और इसकी स्थापना के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना भामाशाह के वंशज गैलाशाह ने कराई थी। मंदिर की वास्तुकला विशेष और अद्वितीय है, क्योंकि इसका निर्माण उन पत्थरों से हुआ है जो राजस्थान से लाए गए थे। इस पर की गई नक्काशी भी राजस्थान की पारंपरिक कला को दर्शाती है। इन कलाकृतियों और निर्माण कार्य को जयपुर के कारीगरों ने किया था।
यहां आने वाले भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए गाय के गोबर से बने सतिया बनाकर मंदिर की मूर्तियों के पीछे चिपकाते हैं। जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है, तो वे मंदिर में चांदी का सतिया चढ़ाते हैं। इस परंपरा को यहां के भक्तों द्वारा श्रद्धा और विश्वास के साथ निभाया जाता है।